रविवार, 24 अप्रैल 2016

फिर कभी ना मीले…

फिर मिलेंगे

आज फिर उस पन्ने के तरफ ध्यान गया,
जिस पर बड़े प्यार से तुमने लिखा था कि
"फिर मिलेंगे"...
सहेज के रखा है अब तक मैंने उस पन्ने को
कि बस वही तो एक वजह है जिससे उम्मीद
अब भी है कि...
तुम वापस आओगी,
अपना कहा निभाओगी.
कि हम फिर मिलेंगे...
उसी पन्ने के एक कोने पे,
ये भी लिखा था तुमने
हमेशा मुस्कुराते रहना,
हर पल मैं तुम्हारे साथ रहूंगी,
हर पल तुम मेरे साथ रहोगे,
अपनी मुस्कराहट को तुम कभी न खोना.
आज भी मुश्किलों के दिनों में वो लिखी हुई बातें तुम्हारी...
मेरे चेहरे पे एक प्यारी मुस्कान दे जाती है,
और उस पल कि जब मैं मुस्कुराता हूँ.. तुम बहुत याद आती हो...!
मेरी सांवरिया...
तुम मेरी न सही...
पर दुनिया तुम्हे मेरे ही नाम से जानेगी..

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